चेरी की खेती
चेरी की खेती

चेरी की खेती और व्यापारिक लाभ

स्वाद में खट्टा-मीठा चेरी बड़े चाव से खाया जाता है। इसमें बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें विटामिन ए, बी, सी, थायमिन, नायसिन, मैगनिज, राइबोफ्लैविन पोटेशियम, कॉपर, एंटीऑक्सीडेंट, पानी, आयरन, फाइबर, फस्फोरस, बीटा-कैरोटीन और क्यूर्सेटिन आदि पाए जाते हैं। इसकी खेती यूरोप, अमेरिका, एशिया, तुर्की देशों में ज्यादा होती है। वहीं भारत में इसकी खेती उत्तर पूर्वी राज्यो में और उत्तर के कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों में की जाती है।

1. जलवायु
ेचेरी ठंडी जलवायु की फसल है। इसकी खेती समुद्रतल से 82,680 इंच की ऊँचाई पर की जा सकती है। इसके साथ ही चेरी को तीन से चार महीने तक अच्छी ठंडक की जरूरत होती है। यानी चेरी की अच्छी फसल के लिए तापमान 7 सेंटीग्रेड से कम हो तो बेहतर होगा। यानी यदि आपके पास उपयुक्त जलवायु वाला क्षेत्र है तो आसानी से इसकी खेती कर सकते हैं।

2. मिट्टी
वैसे तो चेरी की खेती किसी भी प्रकार की भूमि में की जा सकती है। लेकिन यदि आप इसकी खेती रेतीली-दोमट मिट्टी में करें तो अच्छी उपज होगी। इसके साथ ही मिट्टी के पीएच मान का खास ध्यान रखना होगा। चेरी की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए।

3. मिट्टी में नमी
चेरी की अच्छी उपज और पैदावार के लिए मिट्टी में नमी का होना आवश्यक है। चेरी की खेती के लिए मिट्टी का उपजाऊ होना भी जरूरी है। चेरी के फूल और फल पाला सहन नहीं कर सकते हैं, इसलिए इसकी फूल औैर फल को पाले से बचाना जरूरी हैै।

4. किस्में
यदि आप चेरी की व्यवसायिक फसल लेना चाहते हैं तो आप ब्लेक हार्ट, फ्रोगमोर अर्ली, एल्टन, अर्ली राईवरर्स, इम्परर, फ्रैंसिस, गर्वरनर उड, बेडफोर्ड प्रोलोफिक, वाटरलू आदि की खेती कर सकते हैं। इसमें से कुछ जल्दी तो कुछ देरी से पकने वाली फसल है।

5. पौध रोपण
चेरी के पौधे का रोपण फरवरी और रिंग चश्मा जून और सितम्बर में चढ़ाते हैं। 2 बेड के बीच 18 इंच, 2 पंक्तियों के बीच 6-10 इंच और 2 पौधों के बीच 1 इंच की दूरी होना चाहिए। पौधों की रोपाई ठंडे समय में करनी चाहिए। शुरुआत में पौधे लगाने के बाद लकड़ी गाढ़कर पौधो को सहारा देना चाहिए।

6. सिंचाई
चेरी की फसल को बहुत कम सिंचाई की जरूरत होती है। ये जल्दी पकने वाली फसल है, इसलिए इसे ज्यादा गर्मी का सामना नहीं करना पड़ता है। नमी बनाये रखने के लिए इसके उद्यान में पलवार बिछाना अच्छा होगा।

7. उर्वरक
खट्टी चेरी को अधिक मात्रा में नाइट्रोजन दी जानी चाहिए ।

8. रोग और कीटों से रोकथाम
चेरी की फसल में बैक्टीरियल गमोसिस रोग सबसे अधिक देखा जाता है। इसकी रोकथाम के लिए पतझर और बसंत में एक-एक बोर्डोमिश्रण का छिड़काव और रोगजनित भाग को छीलकर अलग कर चौबटिया पेस्ट लगाना चाहिए। चेरी की फसल में यदि लीफ स्पाट का प्रकोप दिखे तो कलियों के सूखने के समय या पत्तों के गिरने के समय ज़ीरम या थीरम 0.2 प्रतिशत का छिड़काव करें। ब्लेक फ्लाई की रोकथाम के लिए पौधों में नीम का काढ़ा कीटनाशी या रोगोर का इस्तेमाल करना चाहिए।

9. तोड़ाई
चेरी 5 साल में ही फल देने लगते हैं और 10 से 12 साल तक फल देते रहते हैं। माना जाता है कि यदि चेरी के पौधों का खास ख्याल रखा जाए तो 50 साल तक भी ये फल दे सकते हैं। मई महीने के बीच में फल पकना शुरू कर देते है लेकिन फल फटने की समस्या कभी-कभी गम्भीर हो जाती है।

10. उपज
एक पेड़ से आपको अधिकतम 25 किलो तक उपज मिल सकती है। इसे पकने से पहले ही तोड़ लेना बेहतर होता है। मीठी चेरी ताजी खायी जाती है और खट्टी को शाक के रुप, मुरब्बा, डिब्बाबन्दी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

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