कड़ी पत्ता यानी मीठा नीम हर गृहिणी की पसंद होती है। क्योंकि इसके बिना सब्जियों का तकड़ा अधूरा होता है। कुछ दशक पहले हर घर में कड़ी पत्ता का पेड़ लगाया जाता था। लेकिन तेजी से  बढ़ते शहरों के दायरे ने अब इसे सिमट कर रख दिया है, लेकिन इसके साथ ही मीठा नीम की बाजार बढ़ गया है। तो आइए चलते हैं कड़ी पत्ता यानी मीठा नीम की खेती के बारे जानते हैं। खासकर इसके व्यापारिक लाभ, खेती और सिंचाई के बारे में चर्चा करते हैं-
बनावट
जैसा कि आप सब जानते हैं नीम दो प्रकार का होता है- एक कड़वा नीम और एक मीठा नीम। जी हां, यही मीठा नीम कड़ी पत्ता के नाम से पूरे देशभर में जाना जाता है। इसका पेड़ वैसे तो आम नीम की तरह ही होता है, लेकिन इसकी पत्तियों की बनावट में फर्क होता है। एक ओर जहां कड़वा नीम का विशाल पेड़ होता है, वहीं मीठा नीम का पेड़ ज्यादा बड़ा नहीं होता, यह अधिकतम 20-25 फीट तक ऊंचा हो सकता है।
उपयोग
मीठा नीम की पत्तियों का उपयोग आमतौर पर मसाले और औषधीय के रूप में किया जाता है।  सब्जियों का जायका इसके बिना पूरा नहीं होता है और इसकी खुशबू से पूरा घर भर जाता है।
जलवायु
वैसे तो कड़ी पत्ते की खेती किसी भी जमीन पर की जा सकती है। लेकिन जलवायु की दृष्टिकोण से इसकी खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु ज्यादा अच्छी होती है।  और पौधे के विकास के लिए सीधे सूर्य के किरण की आवश्यकता होती है।
पैदावार
कड़ी पत्ते का एक पौधे जब पेड़ बन जाता है, तो 10 से 12 साल तक यह पैदावार देता है। इसलिए इसके लिए ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता नहीं होती।
मिट्टी
जैसा कि आजकल कड़ी पत्ते को गमले में भी लगाया जाता है। लेकिन यदि आपको इसकी खेती करनी है तो अच्छी जल निकासी वाली भूमि के साथ उपजाऊ जमीन पर इसकी खेती की जा सकती है। लेकिन पौधों में पानी ना भरे, इसका ध्यान रखना जरूरी है। जमीन का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
खेत की तैयारी और खाद
कड़ी पत्ते की खेती के लिए पहले खेत की अच्छे से जुताई कर लें। इसके बाद तीन से चार मीटर की दूरी पर हलके गड्डे पंक्ति के रूप में ही तैयार करें। इसके बाद इसमें जैविक खाद या गोबर खाद सही मात्रा में मिलाकार गड्ढों में भर लें। मिट्टी के भरने के बाद गड्डों की अच्छे से सिंचाई करें।
पौध रोपण
कड़ी पत्ते को बीज या कलम के माध्यम से भी लगाया जा सकता है। लेकिन बीज लगाना ज्यादा अच्छा है। इसलिए किसान इसकी बीजों से खेती करते हैं। एक एकड़ में लगभग 70 किलो बीज की आवश्यकता होती है। बीजों को गड्डों में लगभग तीन से चार सेंटीमीटर नीचे गाड़ें।
रोपाई का समय
मीठा नीम के लिए मार्च का महीना उत्तम होता है क्योंकि सितम्बर से अक्टूबर माह तक ये काटने के लिए तैयार हो जाता है।
सिंचाई
कड़ी पत्ते के पौधे के बीज लगाने के बाद तुरंत इसकी सिंचाई की आवश्यकता होती है। और पौधों में नमी बनाए रखने के लिए दो से तीन दिन के अंतराल में पानी की आवश्यकता होती है। गर्मियों में सप्ताह में दो से तीन बार तो सर्दियों में पौधे को पानी आवश्यकता अनुसार ही दें।
कीट नियंत्रण
कड़ी पत्ते में वैसे तो कीटों का आक्रमण ज्यादा नहीं होता है। लेकिन यदि कड़ी पत्ते में कीट लग रहे हैं तो ये मौसम परिवर्तन की वजह से होता है। इसलिए इसमें नीम का तेल अथवा नीम के पानी का छिड़काव करना चाहिए। वहीं पौधों में यदि ज्यादा पानी की वजह से जड़ गलन की समस्या हो तो जड़ों में ट्राइकोडर्मा का छिडकाव करना बहुत उचित होता है। इसके अलावा दीमक से बचाव के लिए बीज को क्लोरोपाइरीफास से उपचारित करने के पश्चात खेत में लगाएं।
पैदावार
वैसे तो कड़ी पत्ते सीधे तोड़कर या सुखाकर दोनों ही तरह से इस्तेमाल में लाए जाते हैं। इसलिए ये ज्यादा फायदे का सौदा है। लेकिन यदि आप मसाले में इसका उपयोग करना चाह रहे हैं या बाजार चाहते हैं तो इसके पत्तियों को अच्छी तरह सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर बाजारों में बेच सकते हैं। इसके अच्छे दाम भी मिलते हैं। इसकी एक साल में चार बार कटाई की जाती है और एक एकड़ से साल भर में तीन से चार टन माल आसानी से मिलता है जिससे एक लाख से ज्यादा की कमाई की जा सकती है। तो हो जाइए तैयार कड़ी पत्ते की खेती के लिए।