Multilayer-Farming
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रजनी दीदी ग्राम मावन विकासखण्ड गुना निवासी है। जो सीमांत कृषक के रूप में पारंपरिक खेती में ही विश्वास रखती थी। खरीफ में खेतों में सोयाबीन एवं रबी में गेंहू और चना की खेती कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही थी। उनकी आय सालाना 30 हजार रूपये थी एवं कृषि लागत दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। इसलिए अपने बच्चों के उच्च शिक्षा के लिए वह सोच भी नहीं सकती थी।

जनवरी 2016 में रजनी दीदी मुस्कान समूह की सदस्य बनी। समूह से जुडऩे बाद कृषि सीआरपी का प्रशिक्षण मिला और वह कृषि सखी का काम कर अपनी आय में प्रतिमाह 3 हजार रूपये अतिरिक्त लाभ कमाने लगी। रजनी दीदी ने स्वयं ही जैविक सब्जी उत्पादन दो बीघा में प्रारंभ किया। केचुएं की खाद, जीवामृत, वेस्टडिकम्पोजर एवं जैविक कीटनाशक का उपयोग कर अब 4 बीघा में सब्जी दो बीघा में फलदार बगीचा- थाई पिंक अमरूद, ताईवान पपीता, आम्रपाली आम, केसर आम का पोधरोपण किया। आधा बीघा में गेंदा और गुलाब के फूलों की खेती करना शुरू किया। जिस से प्रतिवर्ष 2-2.5 लाख रू. रजनी दीदी को आय होने लगी। साथ ही गैर कृषि में धनिया यूनिट से भी 8-10 हजार रूपये तक की अतिरिक्त आय अर्जित की। दो बीघा में उद्यानकी विभाग से अभिसरण कर ड्रिप सिचांई पद्धति अपनाई।

आखिर क्या है मल्टीलेयर फार्मिंग…
1. मल्टीलेयर फार्मिंग में पहले तीन या चार फसलों का चयन करना होता है। इसमें एक फसल वो होती है, जो जमीन के नीचे होती है जबकि दूसरी फसल वो होती है जो जमीन के ऊपर होती है. इस के बाद बेल की तरह तीसरी और चौथी फसल बड़े पड़ों के रुप में होती है.

2. मल्टीलेयर फार्मिंग के पहले अपनी मिट्टी, जलवायु के आधार पर फसल का चयन करना चाहिए.

3. इसमें पूरा खेल फसल के चयन और उनकी बुवाई के टाइम का है. जैसे कई किसान गर्मी के बजाय हल्की सर्दी यानी फरवरी में जमीन में अदरक लगा देते हैं. इसके बाद उसे मिट्टी से ढंक देते हैं और उसके बाद भाजी लगा देते हैं, इससे खरपतवार भी नहीं होती है.

4. साथ ही इसके बाद बांस के सहारे एक तार की छत की तरह बना देते हैं, जिसमें अलग अलग बेल वाली सब्जियां लगा देते हैं. इससे ना तो जमीन पर सीधे धूप पड़ती है और ओलावृष्टि के टाइम भी नीचे वाली फसल सुरक्षित रहती है. इसके साथ ही वे बीच में टाइम का ध्यान रखते हुए बीच में पपीते के पौधे लगा देते हैं और इसे ऐसे टाइम लगाया जाता है, जिससे पपीते का तना कुछ दिनों में ऊपर बनाई गई छत से ऊपर निकल जाता है और बेल के ऊपर फल देने लगता है. इससे कोई पपीते की ग्रोथ में कोई दिक्कत नहीं होती है.

5. आप एक जमीन पर सिंचाई करके चार फसल खड़ी कर सकते हैं. इसके साथ ही आप खरपतवार से बच जाते हैं और खरपतवार निकलवाने के लिए मजदूरी के बेचे भी बच जाते हैं. साथ ही निदाई-गुड़ाई का खर्च कम होता है.

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