शाजापुर जिले के ग्राम बेदारनगर निवासी जुझार सिंह परमार ने विगत 6 वर्षों में जैविक खेती से उत्पादित लगभग 60 लाख रूपये के संतरे बेचे। जुझार सिंह ने यह बगीचा वर्ष 2006 में लगाया था। उन्हें संतरे के 250 पौधे उद्यान्न विभाग से प्राप्त हुए थे, जिनको उन्होंने 970 पौधों तक बढ़ाया है। इस बगीचे में विगत 6 वर्षों से संतरे का उत्पादन हो रहा है। जुझार सिंह अपने क्षेत्र में प्रगतिशील कृषक के रूप में प्रसिद्ध है। इनके यहां लगभग 5 हेक्टेयर भूमि हैं, जिस पर जैविक खेती के माध्यम से खेती कर रहे हैं। जैविक खेती के लिए जुझार सिंह नित नए प्रयोग करते हैं।

जुझार सिंह ने बताया संतरे के उत्पादन के लिए उन्होंने रासायनिक दवाईयों एवं उर्वरकों का प्रयोग नहीं किया। उत्पादन बढ़ाने के लिए केचवा खाद तथा कीटनाशक के लिए निम्बोली एवं अन्य जैविक तत्वों को मिलाकर घोल का उपयोग किया। जैविक तरीके से संतरे के उत्पादन के लिए उन्होंने प्रमाणीकरण प्राप्त किया। उनके यहां जैविक खेती से उत्पादित संतरे की मांग दिल्ली, बैंगलुरू, आगरा, शिमला आदि बड़े-बड़े शहरो में है। संतरे की ग्रेडिंग के लिए वे महाराष्ट्र एवं प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से प्रशिक्षित श्रमिक बुलाते हैं।

जुझार सिंह परम्परागत खेती से हटकर औषधीय पौधों की खेती भी कर रहे हैं। जुझार सिंह ने एक बीघा क्षेत्रफल में कलोंजी, 3 बीघ क्षेत्रफल में चिंया सीड, सवा बीघा में अश्वगंधा, 2 बीघा क्षेत्र में हल्दी की खेती की है, साथ ही खेतों की मेढ़ पर कौंच के पौधे लगाकर अतिरिक्त आमदनी ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि हल्दी की खेती से उन्हें 40 हजार रूपये की शुद्ध आमदनी हुई है। कलोंजी लगभग 10 हजार रूपये प्रति क्विंटल, चिंया सीड लगभग 15 से 20 हजार रूपये प्रति क्विंटल की दर से बिकेगा। वे स्वयं औषधीय गुणों वाले चिंया सीड का उत्पादन तो कर ही रहे हैं, साथ ही आसपास के अन्य 15 किसानों को भी उन्होंने चिंयां सीड के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया है। प्रोत्साहन स्वरूप चिंयां सीड लगाने वाले कृषक इंदरसिंह परमार ने बताया कि उन्होंने भी 10 बीसवा भूमि पर चिंयां सीड लगाया है। इससे लगभग 2 क्विंटल चिंयां सीड का उत्पादन अनुमानित है। साथ ही उन्होंने अनार के 1200 पौधे का बगीचा भी लगाया है।

जुझार सिंह ने जैविक खेती से फसलों की उत्पादकता जाँचने के लिए प्लाट डालकर उसमें खपली गेहूं, काला गेहूं, परपल गेहूं, चन्द्रसूर आदि विभिन्न 10 प्रजातियों की बुआई की है, इससे वे उत्पादकता की जाँच कर आने वाले रबी सीजन में ज्यादा उत्पादन वाले प्रजातियों की बुआई करेंगे।   जुझार सिंह का कहना है कि खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए किसान को अपने घर पर ही जैविक खाद बनाना चाहिये, इससे खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।