मक्का की खेती
मक्का की खेती

परिस्थितियां चाहे कैसी भी क्यों न हो यदि  किसी व्यक्ति में बेहतर करने की जज्बा हो तो परिस्थितियों को अपने अनुकूल कर लेता है। एक ऐसे ही उदाहरण है पाटन विकासखंड के ग्राम मिड़की की श्रीमती प्रेमवती सिंह पति उत्तम सिंह की। जिन्होंने कोरोना काल में मक्के की बेहतर उत्पादन कर एक उन्नत व लगनशील कृषक के रूप में स्वयं की पहचान बनाई। श्रीमती सिंह बताती है कि उनके पास 5 एकड़ जमीन है जिसमें धान गेहूं मटर चना इत्यादि फसल लगाती थी। स्थानीय बीटीएम के सलाह व मक्का फसल प्रदर्शन कार्यक्रम से प्रभावित होकर  मक्का लगाने को सोची किंतु कोरोना काल में खेती करना भी थोड़ा मुश्किल भरा रहा, कई दुकानें बंद होने की वजह से एवं आने जाने में समस्या होने कारण नया बीज मिलने में समस्या आ रही थी। फिर भी उन्होंने कृषि विभाग से संपर्क कर हाइब्रिड मक्के का बीज प्राप्त किया और आवश्यक दवाई भी प्राप्त की। वे बताती है कि इस कठिन समय में खेत तैयार कर बोनी व आवश्यक खाद का प्रयोग कर 10 क्विंटल मक्का प्राप्त हुआ इससे उन्हें अच्छा मुनाफा प्राप्त हुआ।

मक्का की खेती से चंदाबाई को हुई अतिरिक्त आय    
कोरोना काल में जिले के विकासखंड पनागर के ग्राम मझगंवा की महिला किसान चंदाबाई ने मक्का की खेती कर 40 हजार रुपए प्रति एकड़ का शुद्ध मुनाफा कमाकर न केवल अतिरिक्त आय अर्जित किया। बल्कि आसपास के क्षेत्र के लोगों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बन गई। चंदाबाई के इस कार्य में उनके परिवार के सदस्यों ने जहां सहयोग प्रदान किया वहीं पड़ोसियों ने उनका उत्साहवर्धन किया।

पैंसठ वर्षीय चंदाबाई ने अपनी मेहनत और उद्यमशीलता से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उस आव्हान को सही मायनों में फलीफूत किया जिसमें वे प्राय: लोगों से कोरोना काल के दौरान संभावनाशील क्षेत्रों में मिल रही चुनौतियों को अवसर में बदलने की बात कहते थे। यहां चंदा को राह दिखाई कृषि विभाग की आत्मा परियोजना ने।

दरअसल खरीफ वर्ष 2020-21 में जब जन-जन कोरोना की मार झेल रहा था, तब धान में रोपाई के लिए मजदूरों की कमी की समस्या से जूझती चंदाबाई के खेत का चयन कृषि विभाग द्वारा खरीफ प्रदर्शन हेतु मक्के की खेती के लिए किया गया। चंदा बाई ने इसके पहले कभी मक्के की खेती नहीं की थी, इसलिए एक झिझक थी, लेकिन कृषि विभाग के मैदानी अमले के मार्गदर्शन में चंदा ने मक्का की खेती की। मक्के की खेती में चंदाबाई ने प्रति एकड़ 12 हजार रुपए खर्चकर 3 महीने में 40 हजार रुपये प्रति एकड़ का शुद्ध मुनाफा कमाया। आज आसपास के गांवों में चंदाबाई के कृषि कार्य लोगों के लिए मिसाल बन गए हैं।