तरबूज की खेती
तरबूज की खेती

तरबूज की खेती और बोआई की विधि

तरबूज की खेती बड़ी आसान और सरल है। इसका फल जायद मौसम का फल है। इसकी खेती के लिए आपको कम समय, कम खाद और पानी की जरूरत भी काफी कम पड़ती है। और इसके बाजार में आपको अच्छे दाम भी मिल जाते हैं। तो चलिए आज हम बात करते हैं तरबूज की खेती के बारे में…

  1. फायदा
    गर्मियों में तरबूज की मांग बहुत बढ़ जाती है। इसकी खेती ज्यादातर कर्नाटक, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में की जाती है। तरबूज में लाइकोपिन, विटामिन, पोटेशियम, सिट्रलीन, पानी, कैल्शियम, सोडियम, विटामिन ए , लाइकोपीन, बीटा कैरोटीन, मैग्नीशियम और अमीनो एसिड आदि पाया जाता है। तरबूज खाने से शरीर एवं त्वचा को हाइड्रेटेड रखने में, कैंसर से बचाव, वजन को कम करने में, शरीर में रक्तचाप, स्ट्रोक, दिल के दौरे और एथेरोस्क्लेरोसिस, आँखो के लिए, शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
  2. जलवायु
    तरबूज की खेती के लिए गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। बीज जमाव और पौधों की बढ़वार के लिए इसे लगभग 25 से 35 सेल्सियस डिग्री तापमान की जरूरत होती है। इसलिए ऐसे मौसम में इसकी खेती की जाए तो बेहतर होगा।
  3. मिट्टी
    इसकी ज्यादातर खेती नदियों के आसपास की जाती है। यहां खाली जगहों पर क्यारियां बनाकर इसकी खेती की जा सकती है। इसके अलावा तरबूज की खेती के लिए रेतीली और रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है।
  4. किस्में
    सुगर बेबी, दुर्गापुर केसर, अर्को मानिक, दुर्गापुर मीठा,काशी पीताम्बर, पूसा वेदना, न्यू हेम्पशायर मिडगट आदि कुछ खास किस्में हैं। जिससे उपज काफी अच्छी होती है।
  5. खेत की तैयारी
    सबसे पहले खेत की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से और फिर देसी हल या कल्टीवेटर से करें। खेत में पानी की मात्रा संतुलित होनी चाहिए। पानी खेत में ज्यादा या कम ना हो, इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए।
  6. बोआई का समय
    मैदानी स्थानों पर तरबूज की बोआई फरवरी में और नदियों के किनारे इसकी बोआई नवंबर से मार्च और यदि पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी खेती की योजना बना रहे हैं तो आप मार्च से अप्रैल के बीच इसकी बोआई कर सकते हैं।
  7. विधि
    इसकी बुवाई मेड़ों पर लगभग 250-300 सेंटीमीटर की दूरी पर 40-50 सेंटीमीटर चौड़ी नाली बना कर की जाती है। नालियों के दोनों किनारों पर लगभग 60 सेंटीमीटर की दूरी पर गड्डे बनाकर उसमें गोबर की खाद, मिट्टी और बालू का मिश्रण थालें में भर दें और उसमे 2 बीज लगाएं।
  8. सिंचाई
    तरबूज की पहली सिंचाई बोआई के पखवाड़े भर बाद करना चाहिए। यदि मिट्टी में नमी का अभाव हो तो आप हफ्तेभर के भीतर भी सिंचाई कर सकते हैं। यदि आप नदियों के किनारे इसकी खेतीकर रहे हैं तो सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है। क्योंकि पौधों रेत के नीचे मौजूद पानी को अवशोषित कर लेते हैं।
  9. उपज
    तरबूज के पौधे तीन महीने में ही फल देने लगते हैं। लेकिन रंग और आकार उसकी किस्मों पर निर्भर करता है। फल पक गया या नहीं इस बात को जानने के लिए फल को दबा के देखा जा सकता है। अगर फल को बेचने के लिए रखना है तो उससे थोड़ा कच्चा ही तोड़ लेना चाहिए। ताकि उसका अच्छा दाम मिल सके।