ग्रामीण अंचल के किसान अब खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए व्यवसायिक खेती को अपनाने लगे हैं,फसलों की अच्छी पैदावार के बाद इनका विक्रय और उचित मूल्य लेना भी  किसानों के लिए चुनोती से कम  नहीं होता,और फसल विक्रय में को कठिनाइयों का सामना करना होता है, इन्ही समस्याओं से  निपटने के लिये बटियागढ़ ब्लॉक के मगरोंन गांव के किसानों ने पहले गन्ने की खेती शुरू की और उसके बाद अब खेत मे ही गन्ने से गुड बनाना शुरू कर दिया है।सम्भवत: दमोह जिले में में मगरोंन पहला ऐसा गांव हैं जंहा किसानों ने गुड़ बनाना शुरू किया है।

मगरोंन गांव के कई किसानों ने अपनी आय बढ़ाने और व्यवसायिक खेती  के उद्देश्य से खेत मे गन्ने की फसल लगाना शुरू किया। यहां सैकड़ो एकड़ में गन्ने की फसल बोई जाने लगीं। गन्ने की पैदावार भी अच्छी हुई,लेकिन दूसरे जिलों तक गन्ने की फसल विक्रय करने के बाबजूद जब फसल से पर्याप्त लाभ नही मिला, तब किसानों ने अपने खेतों में ही गन्ने से गुड़ तैयार करने की योजना बनाई, इसके लिए मगरोंन  गांव के किसान हरिशंकर तिवारी ने अपने खेत मे गुड़ उत्पादन के लिए छोटी मशीन लगाई है, जिसमे स्वयं के करीब 12 एकड़ जमीन में लगे गन्ने की फसल का गुड़ तैयार करना शुरू किया है। मगरोंन गांव में गुड़ बनने की जानकारी मिलने के बाद आसपास के ग्राहक अब यंहा गुड़ खरीदने भी आने लगे हैं,यंहा गन्ना पैदावार करने वाले अन्य किसान भी अपने खेतों में गुड़ बनाने की यूनिट तैयार करने में लगे हैं यानी आने वाले समय मे मगरोंन गांव की नई पहचान गुड़ उत्पादन के रूप में होने की पूरी संभावना है।

किसान हरिशंकर तिवारी का कहना है कि उन्होंने गन्ने की फसल बोना तो शुरू किया लेकिन इसकी पैदावार के बाद विक्रय की समस्या हुई,कोरोना की बजह से जूस वालो ने जब गन्ना नही खरीदा तो,खेत मे ही गुड बनाने की योजना बनाई और छोटी मशीन लगाकर कार्य शुरू किया,गुड बनाने से उनको फायदा भी हुआ और अब आसपास से गुड़ के खरीददार आकर उनसे गुड़ खऱीदते हैं जिससे उनकी आय में बढ़ गई है और फसल वेचने की दिक्कत भी खत्म हो गई है।