कपास की खेती
कपास की खेती

कपास की खेती करने से मिट्टी, उर्वरक और जलवायु की परिस्थिति का अनुमान लगाना बेहद जरूरी है। यदि इनके सही स्थिति का अनुमान नहीं लगाया गया तो फसल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। वैसे आपको तो पता ही होगा कि कपास एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है। व्यावसायिक जगत में इसे सफेद सोना की संज्ञा दी गई है।

कपास की उत्तम पैदावार के लिए न्यूनतम 16 डिग्री सेन्टीग्रेट तापमान, फसल बढऩे के समय 21 से 27 डिग्री सेन्टीग्रेट तापमान व फसल पकन के दिनों में 27 से 32 डिग्री सेन्टीग्रेट तापमान तथा रात्रि में ठंडक का होना आवश्यक है, ऐसे कृषि वैज्ञानिकों का मानना है। इसके साथ ही बलुई, क्षारीय,कंकडय़ुक्त व जलभराव वाली भूमियां कपास के लिए अनुपयुक्त हैं, इसके अलावा अन्य सभी भूमियों में कपास की सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है।

कपास की खेती के लिए खेत की तैयारी भी बेहद आवश्यक है। इसके लिए देशी हल से तीन-चार जुताइयां करके खेत तैयार करना चाहिए। उत्तम अंकुरण के लिए भूमि का भुरभुरा होना आवश्यक है। इसके साथ ही समय-समय पर कृषि वैज्ञानिकों की सलाह लेकर फसल बुवाई से लेकर फल लगने तक पर्याप्त मात्रा में उर्वरक व समय-समय पर निगरानी करते रहने चाहिए, ताकि फसल को किसी प्रकार का नुकसान ना हो। वैज्ञानिकों का मानना है कि कपास की खेती को यदि बेहतरीन तरीके से किया जाए तो फसल उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ किसानों की आय में भी वृद्धि हो सकती है। लेकिन कभी-कभी किसान इसके नुकसान को देखते हुए इसकी फसल उत्पादन में रुचि नहीं दिखाते, लेकिन अब धीरे-धीरे किसानों का नजरिया भी बदलते जा रहा है और वे वैज्ञानिकों से संपर्क कर कपास की खेती भी करने लगे हैं