कहा जाता है कि हर सब्जियों का एक विशेष मौसम होता है। और सीजन में सब्जियों का खास टेस्ट आता है, लेकिन आजकल प्राय: हर सब्जियों को दो मौसम में आमतौर पर उगाए जाने की नए-नए तकनीक आ गए हैं। वहीं यदि हम पालक की बात करें तो यह एक ऐसी सब्जी है, जिसे हर मौसम में उगाया जा सकता है और पौष्टिकता के साथ बेहतर आमदनी का भी पालक स्रोत है। वैसे पालक के बारे में सभी जानते हैं कि यह आयरन से भरपूर होती है। इसलिए हर कोई इसे खाना पसंद करते हैं और विशेषज्ञ भी इसके जूस या सब्जी की सलाह देते हैं। और एक बात और इसमें विटामिन ‘एÓ, प्रोटीन, एस्कोब्रिक अम्ल, थाइमिन, रिबोफ्लेविन तथा निएसिन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसे हर मौसम के साथ ही रबी, खरीफ और जायद तीनों ही मौसम के साथ ही इसकी खेती देश के हर हिस्से में की जाती है। तो चलिए आज बात करते हैं, पालक की खेती के बारे में…
किस्में
सबसे हम बात करते हैं पालक की किस्मों के बारे। पालक की वैसे तो कई किस्में बाजार में उपलब्ध हैं। लेकिन आल ग्रीन, पूसा पालक, पूसा ज्योति उन्नत किस्में हैं। वहीं जोबनेर ग्रीन, बनर्जी जाइंट, हिसार सिलेक्शन 23, पालक 51-16, लाग स्टैंडिंग, पन्त का कम्पोजीटी 1 पालक की अन्य किस्में हैं। इसमें आल ग्रीन पालक के पत्ते गहरे हरे होते हैं और यह 15 से 20 दिन में ही पैदावार देने लगते हैं। वहीं पूसा हरित को पहाड़ी क्षेत्रों में हर मौसम में उगाया जा सकता है।
जलवायु
पालक की देशी किस्में गर्म और ठंड दोनों ही मौसम में अच्छी पैदावार देती हैं। पालक पाले को सहन कर सकता है। इसलिए इसे पहाड़ी और मैदानी दोनों इलाकों में उगाया जा सकता है।
मिट्टी
दोमट मिट्टी पालक की खेती के लिए अति उत्तम हैं। लेकिन इसमें जैविक खाद की मात्रा होनी चाहिए। और अच्छी उपज के लिए मिट्टी की पीएचमान 6.0 से 7.0 होना चाहिए। पालक की बोआई से पहले खेत में अच्छी से जुताई कर समतल बना लेना चाहिए। लेकिन ध्यान रखें मिट्टी में नमी अच्छी हो और जल भराव की संभावना बिल्कुल ना हो।
बोआई की विधि और बीज की मात्रा
पालक को वैसे तो कतार और छिड़काव दोनों ही विधियों से बोया जा सकता है। इसलिए यदि छिड़काव विधि से पालक की खेती करनी है तो इसमें 40 से 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है, लेकिन यदि आप पालक की कतार बोनी करें तो इसमें 30-35 किलोग्राम पर्याप्त होता है। याद रखें बीज को बीमारियों से बचाने बोने से पहले बाविस्टिन या कैप्टान 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचारित करना आवश्यक है। वहीं कतार बोनी में कतार से कतार की दूरी 25 सेंटीमीटर और पौधों की दूरी को कम से कम 10 सेंटीमीटर रखना चाहिए।
समय
पालक वैसे तो हर मौसम में उगाया जा सकता है। लेकिन अच्छी पैदावार और उपज के लिए मैदानी इलाकों में जून से लेकर नवंबर तक और विलायती किस्म के पालक के लिए अक्टूबर-दिसंबर का मौसम उपयुक्त होता है।
खाद
पालक के खेतों में अंतिम जुताई के समय खेत में गोबर खाद कम से कम 20 टन या 8 टन वर्मी कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर की दर मिट्टी में मिला देना चाहिए। इसके साथ ही 60 किलोग्राम नत्रजन 40 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर दें।
सिंचाई
पालक में मौसम के अनुसार सिंचाई करना बहुत जरूरी है। खासकर बीजों के अंकुरण के लिए सिंचाई की आवश्यकता होती है। यानी मिट्टी में नमी पर्याप्त होना चाहिए। बरसात के मौसम में कम तो शरद मौसम में नियमित सिंचाई करते रहने चाहिए।
खरपतवार से सुरक्षा
हर फसल की भांति इसमें भी खरपतवार की संभावना बनी रहती है। खरपतवार हर फसल के साथ उग आते हैं और मिट्टी से भरपूर पोषक तत्वों का उपयोग कर पौधों के विकास को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए समय-समय पर खरपतवार की निंदाई-गुड़ाई करते रहना चाहिए।
कीट नियंत्रण
पालक के फसलों में वैसे तो रोगों का प्रभाव कम ही देखा गया है। फिर भी बीज को बोने से पहले उपचारित अवश्य कर लेना चाहिए। वहीं पालक में माहू, बीटल और कैटरपिलर कीट नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए इसकी रोकथाम के लिए 1 लीटर मैलाथियान को 700 से 800 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टयर छिड़काव करना चाहिए।
कटाई
पालक को बोने के बाद एक महीने में इसकी पहले कटाई की जा सकती है। वहीं कहीं-कहीं पालक 20 से 22 दिन में ही तैयार होते हैं। लेकिन ध्यान रखें पहले कटाई के बाद कम से कम 15 से 20 दिनों का अंतराल अवश्य रखें।
बाजार
पालक हर मौसम में मिल जाते हैं, लेकिन जब पहली बार ये बाजार पहुंचते हैं तो काफी कीमती होते हैं। यानी ये 40 से 60 रुपए प्रति किलो की दर से बिकते हैं। इसलिए इसकी खेती अच्छा मुनाफा वाली है।
हर मौसम की सब्जी पालक… ऐसे करें खेती तो पौष्टिकता के साथ मिलेंगे बेहतर दाम भी…
