बिनी मिट्टी के कोई भी फसल नहीं हो सकती है, ये तो तय है। पर मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी भी फसल को काफी प्रभावित कर सकती है। इसलिए मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा जांचना बहुत ही जरूरी है, ताकि फसल की गुणवत्ता बनी रहे। परंपरागत रूप से चली आ रही फसलों में भी आज मिट्टी परीक्षण काफी जरूरी हो गया है। क्योंकि लगातार एक ही फसल लेते रहने से उसमें पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और उसकी भरपाई जरूरी है। इसलिए किसानों को मिट्टी परीक्षण अवश्य कराया चाहिए। तो चलिए आज बात करते हैं मिट्टी परीक्षण के बारे में…

1. मिट्टी परीक्षण
मिट्टी कई प्रकार होती है। जिसमें भिन्न-भिन्न प्रकार की फसलें ली जाती हैं। धान की फसल के लिए अलग मिट्टी, तिलहन की फसल के लिए अलग मिट्टी आदि। तो मिट्टी परीक्षण से ये पता चलता है कि आखिर इस मिट्टी में कौन सी फसल ली जा सकती है।
साथ ही खेत की मिट्टी में पौधो की समुचित वृध्दि एवं विकास हेतु आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्ध मात्राओं का रासायनिक परीक्षणों द्वारा आंकलन करना साथ ही विभिन्न मृदा विकास जैसे मृदा- लवणीयता, क्षारीयता एवं अम्लीयता की जांच करना मिट्टी परीक्षण कहलाता है।

2. मिट्टी परीक्षण की आवश्यकता
माना जाता है कि पौधों के पर्याप्त विकास के लिए सोलह पोषक तत्व आवश्यक हैं। जो अनिवार्य पोषक तत्व है। कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्निशियम एवं सल्फर। इन पोषक तत्वों मे से प्रथम तीन तत्वों को पौधे प्राय: वायु व पानी से प्राप्त करते है तथा शेष 13 पोषक तत्वों के लिये ये भूमि पर निर्भर होते है।

3. ऐसे होती है मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी
प्राय: देखा जाता है कि किसान लगातार जब एक ही प्रकार की फसल कई सालों तक लेते रहते हैं, तो धीरे-धीरे इसके उत्पादन में कमी आती जाती है। यानी लगातार एक ही फसल लेते रहने से मिट्टी में पोष तत्वों की कमी हो जाती है। इसलिए किसानों को फसल चक्र की सलाह दी जाती है। ताकि मिट्टी के पोषक तत्व लगातार बने रहें।

4. उद्देश्य
मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में कई उद्देश्यों के साथ किया जाता है। इसमें सबसे पहला तो अच्छा उत्पादन ही है। लेकिन यदि किसी मिट्टी में पोषक तत्व कम पाए जाते हैं तो उसमें सुधार कर फसल उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। इसके साथ ही मृदा की अम्लीयता, लवणीयता एवं क्षारीयता की पहचान एवं सुधार हेतु सुधारको की मात्रा व प्रकार की सिफारिश कर इन जमीनो को कृषि योग्य बनाने हेतु महत्वपूर्ण सलाह एवं सुझाव देना भी इसका उद्देश्य है। फल के बाग लगाने के लिये भूमि की उपयुक्तता का पता लगाना  आदि के उद्देश्य से भी मिट्टी परीक्षण आवश्यक है।

5. ऐसे होता है मिट्टी परीक्षण
मिट्टी परीक्षण के लिये सबसे महत्वपूर्ण होता है कि मिट्टी का सही नमूना एकत्र करना। इसके लिए नमूना लेने से पूर्व खेत में ली गई फसल की बढवार एक ही रही हो। उसमें एक समान उर्वरक उपयोग किये गये हों। जमीन समतल व एक ही हो तो ऐसी स्थिति में पूरे खेत से एक ही संयुक्त या प्रतिनिधि नमूना ले सकते हैं। इन बातों का ध्यान रखना पड़ता है।

6. सावधानियां
इसके अलावा मिट्टी परीक्षण के लिए नमूना लेते समय कई प्रकार की सावधानियां आवश्यक होती है। जैसे- जहां खाद का ढेर रहा हो वहां से नमूना न लें। पेडों , मेढो, रास्तो के पास से नमूना न ले। साफ औजारो (जंग रहित) तथा साफ थैलियों का उपयोग करें, आदि।

7. मिट्टी परीक्षण ना कराने के नुकसान
मिट्टी परीक्षण ना कराने का सबसे बड़ा नुकसान तो फसल प्रभावित होता है। इसके चलते असन्तुलित पौध पोषण की दशा में फसलों की वृध्दि समुचित नहीं हो पाती तथा पौधो के कमजोर होने एवं रोग व्याधि, कीट आदि से ग्रसित होने की सम्भावना अधिक रहती है । परिणामस्वरूप फसल उत्पादन कम होता है इसके अतिरिक्त उर्वरक भी काफी महंगे होते जा रहे हैं। अत: इन पोषक तत्वों को खेत में आवश्यकतानुरूप ही उपयोग करना जिससे खेती लाभदायक बन सकती है ।

मृदा के स्वास्थ्य की करें निगरानी

स्वस्थ मृदा से बेहतर पैदावार हम अर्जित कर सकते हैं। मृदा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए हमें जरूरी है कि समय-समय में मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की जांच कराते रहें। शासन ने किसानों के हितों के मद्देनजर ही मृदा हेल्थ कार्ड को लागू किया है। शासन का मुख्य ध्येय किसानों को कृषि में लाभ दिलाना है और इसके लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। यह बात मृदा वैज्ञानिक डॉ. अनीता ठाकुर ने कही।

इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकण्टक के कृषि विज्ञान केंद्र एवं कृषि कल्याण एवं कृषि विभाग के संयुक्त तत्वाधान द्वारा मृदा स्वास्थ दिवस के अवसर पर ग्राम दम्हेडी मे किसान मेला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कृषकों को मृदा स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना था। इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र अमरकन्टक की मृदा वैज्ञानिक डॉ. ठाकुर द्वारा किसानों को मृदा परीक्षण के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही किसान को मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के बारे मे भी बताया। उनके द्वारा ग्राम चिल्हारी के लगभग 50 किसानों के मृदा के नमूने की जांच प्रयोगशाला में की गई एवं किसानों के मृदा स्वास्थ कार्ड बनाकर दिये गये। ंकार्यक्रम में किसानों को कृषि से सम्बंधित समसामयिक जानकारी दी गई। साथ ही किसानों को मृदा परीक्षण से होने वाले फायदे के बारे में बताया गया। विभागीय अधिकारियों ने मृदा परीक्षण के आधार उर्वरक एवं खाद का संतुलित उपयोग कर कृषि में उचित मुनाफा कमाने पर भी विस्तार से जानकारी दी। किसान मेले में बड़ी संख्या में क्षेत्र के किसान और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।