आजकल लगातार आ रही नए-नए तकनीकों के साथ ही रासायनिक खादों का प्रयोग से किसान मुनाफा भी खूब कमा रहे हैं। लेकिन कई क्षेत्रो में देखा जा रहा है कि अब जैविक खेती को महत्व दिया जा रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण जैविक खेती से मिट्टी का उपजाऊपन बरकरार रहना है। इसके साथ ही भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होती है। रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से कास्त लागत में कमी आती है। लेकिन मिट्टी में लगातार रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी का उपजाऊपन कुछ हद तक प्रभावित हो सकता है। वहीं जैविक खेती से मिट्टी की उर्वरकता बरकरार रहती है और किसान को फसलों का दाम भी अच्छा मिलता है। आज हम आपको बता रहें मिट्टी में सुधार के कुछ आसान से उपाय-
मिट्टी की भौतक स्थिति अच्छी है तो करें ये उपाय
देखने में आया है कि कुछ किसानों की मिट्टी की स्थिति काफी अच्छी रहती है। फिर भी उस पर समुचित ध्यान देना ज्यादा अच्छा होता है, ताकि वो लंबे समय तक अपनी स्थिति बरकरार रख सकें। इसके लिए सबसे जरूरी है- सही समय पर खेत की जुताई, कटाव को रोकना, सही फसल-चक्र का चयन, हरी खाद और कार्बनिक खादों का उपयोग, जल-निकास का प्रबंध।
नमी होने पर ही करें जुताई
किसान यदि मिट्टी की स्थिति अच्छी रखना चाहते हैं, तो खेत में पर्याप्त नमी होने पर ही इसकी जुताई करनी चाहिए। खेत में कम या अधिक नमी होने पर जुताई करने से मिट्टी की संरचना बिगड़ जाती है।
जैविक खाद का उपयोग
मिट्टियों के लिए जैविक खाद का ही प्रयोग करें तो बेहतर होगा। इससे मिट्टी के महत्वपूर्ण गुणों बरकरार रहते हैं। वहीं कार्बनिक खादों में मुख्य रूप से गोबर की खाद और कम्पोस्ट का प्रयोग किया जा सकता है।
फसल चक्र है महत्वपूर्ण
इसके अतिरिक्त मिट्टी के पोषक तत्वों को बरकरार रखने के लिए फसल-चक्र का भी महत्वपूर्ण योगदान है। बार-बार एक ही फसल लेने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर प्र्रभाव पड़ता है। इसलिए समय-समय पर फसल चक्र अपनाना चाहिए, ताकि मिट्टी को पर्याप्त पोषक तत्व मिल सके।
पलवार का उचित प्रयोग
मिट्टी में नमी आने से रोकने के लिए धान की पुआल, गेहूं का भूसा या डंठल, सूखे खरपतवार आदि से ढक देना चाहिए। ताकि उसकी नमी बरकरार रहे। ध्यान रखें यदि मिट्टी में नमी अच्छी रहेगी, तभी पर्याप्त उत्पादन होगा।