कम्पोस्ट खाद जैव कृषि का मुख्य घटक है और इसे तैयार करना बेहद ही आसान है। गोबर व फ़सल के अवशेष, सब्जियों के छिलके व कूडा -करकट को मिट्टी के कुछ समय तक दबा कर रखने से इसे बनाया जा सकता है। यानी कम्पोस्ट खाद है जैविक पदार्थों के अपघटन एवं पुन:चक्रण से प्राप्त की जाती है। इसमें तीन से हफ्ते हफ़्ते लग सकते हैं। इसके साथ ही इसमें पौधे के ज़रूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं।
कृषि वैज्ञानिकों का भी कहना है कि कंपोस्ट खाद के उपयोग से पौधे बड़ी तेज़ी से बढ़ते हैं। फलन अच्छी होती है। इसके साथ ही आजकल रासायनिक खाद से उत्पादित धान के बजाय जैविक खाद से उत्पादित धान की मांग ज्यादा बढ़ रही है। बाजारों में जैविक खाद से निर्मित अनाज अच्छे दामों में जाता है।
इसके अलावा कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए कोई विशेष आवश्यकता या तकनीक की जरूरत भी नहीं पड़ती है। इसे कम पढ़े-लिखे या निरक्षर भी आसानी से बना सकते हैं।
वहीं बताया जाता है कि कम्पोस्ट खाद से मिलने वाले पोषक तत्वों को पौधे बड़ी आसानी से ग्रहण कर लेते हैं, लेकिन रासायनिक खाद के मामले में ऐसा नहीं हो पाता। तो जाहिर सी बात है कि फसलों के उत्पादन पर फर्क तो पड़ेगा ही। साथ ही कंपोस्ट खाद से तैयार अनाज व सब्ज़ी उच्च गुणवत्ता वाली होती है। इसके साथ ही खेतों में कई साल तक कंपोस्ट खाद का प्रयोग करते रहने से मिट्टी की संरचना सुधरती है। इसके अलावा कंपोस्ट खाद व जैविक खेती करने से पोषक तत्व ज़मीन में स्थिर रहते हैं। कई सालों तक कम्पोस्ट खाद के उपयोग से बंजर ज़मीन भी उपजाऊ हो जाती है। कम्पोस्ट खाद के प्रयोग से पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।