पशुपालकों को उन्नत नस्ल के बछियों के पालन के साथ ही अपनी आर्थिक आय बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सुकमा जिले में यशोदा कृत्रिम गर्भाधान योजना का शुभारंभ किया जा रहा है। पशुधन विकास विभाग सुकमा द्वारा जिले के पशुओं में नस्ल सुधार को प्रोत्साहित करने के लिए कृत्रिम गर्भाधन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। कृत्रिम गर्भाधन नस्ल सुधार का एक प्रभावी साधन है, इसमें गाय एवं भैंस को उन्नत नस्ल के अनुवांशिक गुणों से परिपूर्ण सीमेन द्वारा कृत्रिम रूप से गर्भित किया जाता है पशु चिकित्सा विभाग द्वारा यह सुविधा पशुपालकों के घर और गौठानों में नि:शुल्क प्रदान की जा रही है।
कृत्रिम गर्भाधान का मुख्य उदेश्य नस्ल सुधार है। सुकमा जिले में कृत्रिम गर्भाधान के लिए उत्तराखण्ड ऋषिकेश से ”सेक्स शार्टेड सीमेन मंगाया गया है। कृत्रिम गर्भाधान में इस सीमेन का प्रयोग सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन वाले राज्यों में किया जा रहा है। सुकमा जिले में हीट सिंक्रोनाईजेशन अभियान चलाया जा रहा है जिससे गायों के हीट में आने पर आसानी से कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है। यशोदा कृत्रिम गर्भाधान योजना के तहत सार्टेड सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान किया जा रहा है। कृत्रिम गर्भाधान में किये जा रहे नवाचार में बछिया होने की सम्भावना 95 प्रतिशत है। इस तकनीकी से दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा जिससे पशुपालकों आय बढ़ेगी।
यशोदा कृत्रिम गर्भाधान योजना के तहत प्रारंभिक चरण में जिले के 500 पशुपालक लाभान्वित होंगे। उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवायें डॉ.एस.जहीरूद्दीन ने बताया कि कृत्रिम गर्भाधान के लिए सार्टेड सीमेन जिले के सभी पशु चिकित्सालयों में एवं कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र में उपलब्ध है। कृत्रिम गर्भाधान से पैदा हुए बछियों में बीमारियों के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गायों का टीकाकरण एवं समय समय पर जांच की जाती है। यशोदा कृत्रिम गर्भाधान योजना के तहत हितग्राहियों को बछिया की देखभाल एवं भरण पोषण के लिए 15 हजार रुपए की अनुदान राशि भी प्रदाय की जाएगी जबकि आदिवासी समुदाय के हितग्राहियों को अनुदान के रूप में 18 हजार रुपए की राशि प्रदाय की जाएगी।