मछली पालन करना काफी लाभदायक सिद्ध हो रहा है। मछली पालन के माध्यम से स्थानीय स्तर पर रोजगार उत्पन्न कर स्थानीय लोगों की पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने में दन्तेवाड़ा जिला अपनी पहचान बना रहा है। इस कारोबार को शुरू करने के लिए खेती-किसानी करने वालें किसान भी करने लगे हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण जिले के ग्राम गीदम का रहने वाला श्री भरत देवांगन ने मत्स्य पालन विभाग के मार्गदर्शन पर नीलक्रांति योजनान्तर्गत स्वयं की भूमि में तालाब निर्माण योजना के तहत अपने स्वयं की भूमि वर्ष 2020-21 में 01 हेक्टेयर में भूमि में 7 नर्सरी व तालाबों का निर्माण और मत्स्य पालन व्यवसाय शुरू किया। जिससे मत्स्य पालन एवं मत्स्य बीज संवर्धन कर विक्रय किया गया। इस व्यवसाय से उन्होंने वर्तमान में करीब चार लाख 50 हजार रुपए की आमदनी प्राप्त हुई। श्री देवांगन के अथक प्रयास एवं मेहनत से चालू वर्ष में मछली का उत्पादन कर स्थानीय बाजार में विक्रय किया गया। जिससे उन्हें लगभग 2 लाख 50 लाख रूपये की आमदनी प्राप्त हुई। नर्सरी व तालाबों में उन्नत प्रजातियां का मत्स्य बीच भारतीय मेजर कार्प कतला, रोहु, मृगल एवं विदेशी मेजर कार्प में ग्रास कार्प, कामनकार्प का मत्स्य बीज स्पान संवर्धन किया तथा उचित बढ़त हेतु उन्न्त तकनीक प्रबंधन एवं परिपुरक आहार खिलाया। तत्पश्चात तैयार फिंगरलिंग मत्स्य कृषकों को विक्रय कर 4 माह में 2 लाख रूपये का आमदनी प्राप्त किया। श्री देवांगन ने बताया कि धान की खेती में उन्हें इतनी आमदनी नहीं हो पाती थी। जिससे वे अपने और अपने परिवार के लिए बुनियादी सुविधाओं की ब्यवस्था कर सके। इस व्यवसाय को अपनाने के बाद उनका जीवन स्तर काफी उन्नत हुआ और उनके परिवार में खुशी का माहौल है। जिससे आर्थिक, सामाजिक एवं पारिवारिक स्तर से सुधार हो रहा है। शासन की ऐसी योजनाओं से जुड़े किसान मछली पालन कर अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं।