नीमच जिले में धनिया फसल के साथ-साथ अश्वगंधा फसल को भी लिया गया हैं। धनियें का लगभग रकबा 15 हजार 150 हेक्टेयर हैं और उत्पादकता एक मेट्रीक टन प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती हैं। धनियां आधारित जिले में प्रोसेसिंग यूनिट भी हैं, जो ग्रेडिंग, पैकिंग के साथ-साथ पिसाई का कार्य भी कर रही हैं। यंहा का धनिया अन्य राज्यों में भी भेजा जाता है।
अश्वगंधा औषधी फसल के लिये यह जिला पूर्व से ही विख्यात है, और यहां उत्पादित अश्वगंधा दूसरे राज्यों एवं विदेशों में भी भेजी जाती हैं। अब नई वैरायटी जो रबी में भी अच्छा उत्पादन देती हैं, आ गई हैं। फिर भी नागोरी अश्वगंधा के रूप में यह प्रचलित है। पोषिता, जवाहर पूष्टि आदि वैरायटी प्रचलन में आ रही हैं। अश्वगंधा का रकबा 1500 हेक्टेयर के लगभग हैं पहले यह खरीफ में ही होती थी, अब रबी में भी आसानी से हो रही हैं। अश्वगंधा की सूखी जड़ें 8-10 क्विंटल प्रति हेक्टयेर उत्पादित होती है।